हिन्दी दिवस एवं राजभाषा पखवाड़ा समापन समारोह
मुख्य अतिथि का व्याख्यान
आज दिनांक 15 सितम्बर 2025 को हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी दिवस एवं राजभाषा पखवाड़ा समापन समारोह का आयोजन किया गया।समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डा० सूर्य नारायण जी, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, ने अपने व्याख्यान में हिन्दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी केवल अभिव्यक्ति का माध्यम ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है। उन्होंने बताया कि हिन्दी की सबसे बड़ी विशेषता उसकी समावेशी प्रवृत्ति है। हिन्दी ने अपने विकास की यात्रा में विभिन्न भाषाओं, बोलियों तथा संस्कृतियों को आत्मसात कर स्वयं को और अधिक समृद्ध बनाया है। यही कारण है कि यह भाषा सम्पूर्ण भारत में जनमानस को जोड़ने वाली कड़ी के रूप में स्थापित हुई है।
डा० सूर्य नारायण जी ने कहा कि हिन्दी ने सदैव सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को सशक्त किया है। लोकगीत, लोककथाएँ, साहित्य और पत्रकारिता के माध्यम से हिन्दी ने न केवल समाज को एक सूत्र में बाँधा है, बल्कि भारतीय परंपराओं और जीवन-मूल्यों को भी संरक्षित रखा है। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि स्वाधीनता आंदोलन के समय हिन्दी ही वह भाषा थी, जिसने आम जनता को जागरूक करने, संगठित करने और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी। हिन्दी ने राष्ट्रीय चेतना को जागृत कर जन-आंदोलन की भाषा के रूप में भारत को आज़ादी की राह पर अग्रसर किया।
अंत में, उन्होंने आह्वान किया कि हमें हिन्दी के प्रयोग को केवल औपचारिक अवसरों तक सीमित न रखते हुए इसे अपने दैनंदिन जीवन और कार्यक्षेत्र में भी अपनाना चाहिए। यही सच्चे अर्थों में हिन्दी भाषा के प्रति हमारी निष्ठा और सम्मान का प्रतीक होगा।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो० नसीहा उस्मानी ने अपने संबोधन में हिन्दी और उर्दू भाषाओं के महत्व तथा उनकी आपसी समीपता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिन्दी और उर्दू दोनों ही भाषाएँ भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर हैं। दोनों भाषाओं की जड़ें एक ही मिट्टी से जुड़ी हुई हैं और इनमें भाव, शब्दावली तथा अभिव्यक्ति की शैली में अद्भुत समानता देखने को मिलती है। यही कारण है कि हिन्दी और उर्दू को अक्सर दो बहनोंकी उपमा दी जाती है।
प्रो० नसीहा उस्मानी ने यह भी कहा कि हिन्दी और उर्दू ने इतिहास के हर दौर में भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक चेतना को गहराई से प्रभावित किया है। इन दोनों भाषाओं ने केवल साहित्यिक कृतियों में ही नहीं, बल्कि आम जनजीवन, गीत-संगीत, रंगमंच और पत्रकारिता में भी समान रूप से योगदान दिया है। उन्होंने यह उल्लेख किया कि स्वतंत्रता संग्राम के समय हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं ने जनता को जोड़ने और राष्ट्रीय भावना को जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चाहे नारे हों, कविताएँ हों या गद्य साहित्य, हिन्दी और उर्दू ने मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन को जन-आंदोलन में परिवर्तित किया। अंत में, उन्होंने कहा कि आज भी यदि हम भारत की सांस्कृतिक एकता और भाषाई विविधता को जीवंत बनाए रखना चाहते हैं, तो हिन्दी और उर्दू के परस्पर सामंजस्य और सहयोग की परंपरा को आगे बढ़ाना होगा। दोनों भाषाएँ मिलकर हमारी राष्ट्रीय अस्मिता को और अधिक प्रगाढ़ बनाती हैं।
इस अवसर पर प्राचीन इतिहास विभाग की अध्यक्षा तथा कार्यक्रम की संयोजिका प्रो० नसरीन बेगम ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने अपने संबोधन में हिन्दी के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दी का आधार अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। लोकभाषाओं, बोलियों तथा संस्कृत और प्राकृत जैसी भाषाओं के संगम से हिन्दी ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। समय के साथ हिन्दी ने साहित्य, पत्रकारिता, शिक्षा और प्रशासनिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देकर निरंतर प्रगति की है। प्रो० नसरीन बेगम ने कहा कि हिन्दी केवल संवाद का साधन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। इस भाषा की सहजता और सरलता ही इसे सम्पूर्ण भारतवर्ष में सर्वाधिक लोकप्रिय बनाती है। उन्होंने विशेष रूप से यह भी कहा कि हमें हिन्दी बोलने और उसका प्रयोग करने में गर्व महसूस करना चाहिए, क्योंकि यही भाषा हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और हमें राष्ट्रीय पहचान प्रदान करती है।
हिन्दी दिवस एवं राजभाषा पखवाड़ा समापन समारोह में प्रतियोगिताओं के परिणाम घोषित
समापन समारोह में 15 दिनों तक चले विभिन्न प्रतियोगिताओं के परिणाम घोषित किए गए और विजेताओं को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए।
समारोह में सर्वप्रथम भाषण प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए गए, जिसमें ईश्वर सरन डिग्री कॉलेज के प्रतिभागी अनुभव शुक्ला ने अपने उत्कृष्ट वक्तृत्व कौशल से प्रथम स्थान प्राप्त किया।
हिन्दी टिप्पण एवं प्रारूपण प्रतियोगिता में अपनी शानदार प्रस्तुति के लिए सारा अंसारी ने प्रथम स्थान हासिल किया।
कहानी लेखन प्रतियोगिता की बात करें तो कल्पनाशीलता और भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए नूर फ़ातिमा प्रथम स्थान पर रहीं।
पत्र लेखन प्रतियोगिता में सटीक अभिव्यक्ति और सुसंगत शैली के लिए अफ़ीफ़ा नाज़ ने प्रथम पुरस्कार जीता।
हिन्दी टंकण गति प्रतियोगिता में तेज़ गति और सटीकता का प्रदर्शन करते हुए तसलीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
निबंध लेखन प्रतियोगिता में गहन विचार और सुस्पष्ट भाषा शैली के लिए नर्गिस बानो ने प्रथम स्थान हासिल किया।
हिन्दी अनुवाद एवं भाषा ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहीं अलीशा
समापन अवसर पर सभी विजेताओं को सम्मानित किया गया और साथ ही प्रतिभागियों को उत्साहवर्धन के लिए बधाई दी गई। समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम की संयोजिका प्रो० नसरीन बेगम ने किया।