“डिजाइनिंग एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन *अपैरल” नामक शीर्षक के अंतर्गत छ: दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज के फैशन डिजाइन विभाग की तरफ से “डिजाइनिंग एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन अपैरल” नामक शीर्षक के अंतर्गत छ: दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला 20 जनवरी 2025 से प्रारंभ होकर 25 जनवरी 2025 तक चली। पहले दिन कार्यक्रम का प्रारंभ हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज की बी०वोक० नोडल अधिकारी, प्रो० नसरीन बेगम ने चिल्ड्रंस के वस्त्र का परिचय दिया।
प्रो० नसरीन बेगम ने छात्राओं को नवीनतम तकनीकों को सीखने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि बच्चों को ऐसे आरामदायक कपड़ों की आवश्यकता होती है जिससे उनकी त्वचा पर मुलायम महसूस हों तथा साथ ही दैनिक उपयोग के लिए पर्याप्त टिकाऊ भी हों। बच्चों के कपड़े आमतौर पर विभिन्न कपड़ों से बनाए जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने विशिष्ट गुण और लाभ होते हैं, जिनमें कपास , पॉलिएस्टर, नायलॉन और स्पैन्डेक्स आदि शामिल हैं।
शिशु से लेकर बढ़ती उम्र तक के नये-नये परिधान के पैटर्न बनाने, काटने और सिलने की कार्य शैली बताई गई। प्रथम दिवस छात्राओं ने नवजात शिशु के वस्त्रो का सेट तैयार किया। द्वितीय दिवस शिशुओं के रोमपर पोशाक बनवाये गए। तृतीय दिवस छोटे बच्चों के डंगरी पोशाक काटना और सिलना सीखा। चतुर्थ दिवस ए -लाइन फ्रॉक बनवाई गई। पंचम दिवस स्कूली बच्चों की स्कर्ट/ट्यूनिक बनाना सिखाया गया। अंतिम दिन सभी छात्राओं को अलग-अलग वस्त्र तैयार करने का कार्य दिया गया। छात्राओं के काम, लगन और मेहनत के आधार पर प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्रदान कर प्रशस्ति पत्र व उपहार से पुस्कृत किया गया। सभी छात्रों ने कार्यशाला में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया तथा शिशुओं के परिधान बनाने में नई-नई तकनीक को सिखा।
कॉलेज की प्राचार्या, प्रो० नासेहा उस्मानी ने सभी छात्राओं को बधाई दी उन्होंने कहा कि नन्हे बच्चों और शिशुओं के कपड़े पहनने में आसान, सुंदर, रंग, कोमल और चिकने होने चाहिए। कपड़े की गुणवत्ता, रख-रखाव में आसान देखभाल होनी चाहिए, और कीमत और गुणवत्ता का अच्छा अनुपात होना चाहिए। प्रो० उस्मानी ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि नवजात शिशु की त्वचा बहुत पतली और संवेदनशील होती है, इसलिए उन्हें कॉटन, बांस कॉटन या अन्य कपड़े पहनाना ज़रूरी है, जो जलन या रैशेज़ न पैदा करें और साथ ही उन्हें सुरक्षित और आरामदायक भी रखें। साथ ही, कपड़े का स्टाइल ऐसा होना चाहिए जिससे डायपर बदलना आसान हो और उसे पहनना और उतारना भी सुविधाजनक हो। समापन समारोह में डॉ० शमा रानी, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ० मोनिषा गुप्ता, सुश्री नबिया एवं सुश्री हर्षिता फैशन डिजाइन फैकल्टी उपस्थिति रही।