हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज के उर्दू विभाग के बज़्म-ए-अदब द्वारा आज दिनांक 16/11/2023 को मीर तक़ी मीर को समर्पित सात दिवसीय उर्दू महोत्सव नवा-ए- उर्दू का समापन समारोह महाविद्यालय के बेगम खुर्शीद ख़्वाजा हाल में मनाया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ ईश्वर को याद करते हुए हम्द से किया गया। जिसे अंग्रेजी प्रथम सेमेस्टर की छात्रा कुमारी नुज़हत नईम ने पेश किया। अतिथियों को हरे पौध, बुके एवं मोमेंटो भेंट किये गये।
प्राचार्या प्रोफेसर नासेहा उस्मानी ने मुख्य अतिथियों का स्वागत एवं परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि उर्दू ना किसी शख्स की भाषा है, ना किसी धर्म की भाषा है, बल्कि यह हिंदुस्तान की भाषा है,उर्दू एक एहसास है, जो हमेशा जिंदा है और हमेशा रहेगी। आज हम सात दिवसीय उर्दू महोत्सव के समापन के साथ -साथ अकबर इलाहाबादी दिवस भी मना रहे हैं, उन्होंने कहा कि नवंबर के महीने में हम उर्दू महोत्सव इसलिए मानते हैं कि उर्दू अदब के तमाम प्रगतिशील लेखकों का जन्म इसी माह में हुआ है जिन्होंने उर्दू अदब में यथार्थ और वास्तविकता को स्थापित किया। साथ ही श्री हरिवंश राय बच्चन जो की प्रयागराज की एक महान हस्ती हैं उनका जन्म भी इसी महीने में हुआ है। कार्यक्रम के द्वारा हम तमाम शायरों के समाज के प्रति योगदान को याद करते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर सैयद इब्राहिम रिज़वी डीन रिसर्च, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज ने अपने भाषण में बेहतरीन तरीके से विज्ञान और भाषा के संबंध को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि भाषा तो विचारों को प्रकट करने का एक माध्यम है। शायरों की शायरी से उस वक्त के हालात का पता चलता है। अकबर इलाहाबादी ऐसे शायर हैं जिन्होंने अपनी शायरी में गाढ़े शब्दों का प्रयोग नहीं किया बल्कि व्यंग के माध्यम से समाज का आईना दिखाया है। पूरब और पश्चिम की संस्कृति के मेल, सामाजिक बुराइयों, और जीवन के दर्शन सभी के लिए व्यंग्य को अपनाया। पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत और धीरे-धीरे मनुष्य का अस्तित्व में आना। उसके बाद अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सोचना, उसका बोलना, अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए संकेत और ध्वनियों का प्रयोग करना और धीरे-धीरे विकसित होते-होते एक भाषा के रूप में इनका विकास होना। इन सभी बातों को कहानी के माध्यम से रुचि पूर्ण ढंग से छात्राओं के बीच साझा किया। उन्होंने कहा कि इस कहानी की शुरुआत 4.5 बिलियन वर्ष पहले हुई थी। मनुष्य के बोलने का सिलसिला 15000 साल पहले शुरू हुआ 4600 साल पहले सबसे पहले भाषा का लिखित स्वरूप अस्तित्व में आया जो की इजिप्ट के एक पिरामिड में पाया गया। उन्होंने कहा कि विश्व में 7000 भाषाएं मौजूद है, परंतु बहुत सी भाषाएं समाप्त भी हो रहीं हैं। भाषाएं स्थान और समय के अनुसार विकसित होती हैं। भारत में संस्कृत भाषा का विकास हुआ। 12वीं शताब्दी में जब बाहर से लोग भारत में आए तो अपने साथ फारसी भाषा ले आए। फारसी, खड़ीबोली, संस्कृत, हिंदवी आदि भाषाएं मिलकर एक नई भाषा का जन्म हुआ, जिसे उर्दू कहा गया। इसका जन्म लश्कर में हुआ और 400 साल पहले इसे उर्दू कहा गया।
सत्र 2021-22 एवं 2022-23 की टॉपर छात्राओं को मुख्य अतिथि ने मेडल दिए।वार्षिक उर्दू इंटरनेशनल जरनल नक़्श-ए-नव के नवें संस्करण का विमोचन किया गया। उर्दू विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ज़रीना बेगम ने कार्यक्रम का संचालन एवं डॉ इरम फरीद उस्मानी एसोसिएट प्रोफेसर समाजशास्त्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया।