हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज के उर्दू विभाग के बज़्म-ए-अदब द्वारा आज दिनांक 10/11/2023 को मीर तक़ी मीर को समर्पित सात दिवसीय उर्दू महोत्सव नवा-ए- उर्दू का उद्घाटन समारोह महाविद्यालय के बेगम खुर्शीद ख्वाजा हाल में मनाया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ ईश्वर को याद करते हुए क़ेरत से किया गया। जिसे अरबी प्रथम सेमेस्टर की छात्रा कुमारी आयशा शमीम ने पेश किया। अतिथियों को हरे पौधे भेंट किये गये।
प्राचार्या प्रोफेसर नासेहा उस्मानी ने मुख्य अतिथियों का स्वागत एवं परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि उर्दू विभाग में बज़्म-ए-अदब की नींव 2017 में डाली गई और यह संपूर्ण सत्र के दौरान अकादमिक गतिविधियों का आयोजन करता है। इसके माध्यम से छात्राओं में उर्दू के लिए जो जज़्बा है उसको निकालने का अवसर प्रदान किया जाता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर शबनम हमीद विभागाध्यक्ष उर्दू विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज ने अपने भाषण में कहा कि हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज का विशेष कार्यक्रम सात दिवसीय उर्दू महोत्सव जोकि नवंबर के महीने में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और अल्लामा इकबाल से शुरू होकर अकबर इलाहाबादी तक जाता है, यह एक साहित्यिक उत्सव है। जिसमें उर्दू और हिंदुस्तानी संस्कृति का परिदृश उभर कर सामने आता है । उर्दू भारतीय संस्कृति की पहचान बताने वाली भाषा है। सभी हिंदुस्तानी भाषा की मां संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा प्रारंभ में एक विशेष वर्ग के लिए अधिकृत थी, अन्य लोगों ने अपनी बात कहने के लिए प्रकृत-अपभ्रंश, पंजाबी, दक्कन आदि भाषाओं को मिलाया तो एक नई भाषा हिंदवी (हिंदुस्तानी) बनी। जब अपनी बात को हमने देवनागरी लिपि में लिखा तो हिंदी हुई और अपनी बात को हमने फारसी लिपि में लिखा, तो वह उर्दू हो गई। उर्दू हिंदुस्तान की भाषा है यह किसी एक कौम की भाषा नहीं है। उर्दू तहजीब की भाषा है और इसकी सुरक्षा के लिए हमें प्रयास करने की आवश्यकता है और अपनी आम जिंदगी में इसे फिर से शामिल करना हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि जैसे-जैसे हम उर्दू से दूर हो रहे हैं हम तहजीब से भी दूर हो रहे हैं। उन्होंने अकबरी इलाहाबादी और अल्लामा इकबाल की शायरी को अपनी भाषण के केंद्र में रखा। समाज के प्रति उनकी सोच, देश प्रेम, व्यक्तित्व के विकास, प्रगति, विज्ञान, संस्कृति, जीवन- दर्शन, रुको नहीं बढ़ते रहो और नई खोज के लिए सदैव प्रयासरत रहना आदि की सीख, सभी विषयों को विस्तार से रोचक माहौल में चर्चा किया है। विशेष अतिथि डॉ नफीसा बानो पूर्व विभागाध्यक्ष,वसंता पीजी कॉलेज वाराणसी ने अपने वक्तव्य में कहा की वर्तमान समय में उर्दू भाषा के उच्चारण में तलफ्फुज़ बिगड़ रहा है, इसका ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि भाषा के साथ यह एक तहजीब भी है। उन्होंने कहा कि अल्लामा इकबाल ऐसे बड़े शायर हैं जो कि पूर्व और पश्चिम दोनों ही संस्कृतियों का ज्ञान रखते थे। उन्होंने अपनी शायरी के माध्यम से लोगों में यह संदेश पहुंचाने का प्रयास किया कि प्रत्येक मानव को खुद को पहचानना जरूरी है। उन्होंने व्यक्तित्व की पहचान बनाने की बात कही, सदैव क्रियाशील रहने की बात कही। उन्होंने शेरों आदाब का जो पुराना स्वरूप था उसको बदलकर हक़ीक़त की दुनिया से लोगों को परिचित कराया। विशेष अतिथि काज़िम आब्दी, बज़्म-ए- यारा के प्रबंधक ने कहा कि भाषा का सम्मान और सुरक्षा हमारा पहला उत्तरदायित्व है, क्योंकि यह हमारे पूर्वजों की विरासत है। उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आप लोग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करें, जहां जैसे मौका मिले ज्ञान को हासिल करिए, क्योंकि क़लम की ताकत से बढ़कर दुनिया में कोई ताकत नहीं होती है। जिस कौम के पास क़लम की ताकत है वह कौम दुनिया में हुकूमत करती है। उर्दू भाषा हमारी हिंदुस्तान में जन्मी भाषा है इसलिए यह हमारी मातृभाषा हुई। इसकी सुरक्षा में महिलाओं की अहम भूमिका है। घरों के अंदर हमारे समाज में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग बढ़ रहा है और उर्दू शब्द गायब हो रहे हैं। जिसका असर तहज़ीब पर भी पड़ता है। आप छात्राएं हैं, इस वक्त आपका मुख्य कार्य पढ़ना है। आपको पढ़ना चाहिए क्योंकि इस दौर में जो भी आपने पढ़ा है वह सारी जिंदगी आपके मस्तिष्क में दर्ज हो जाएगा। दुनिया की बेहतरीन दोस्त किताब है। अब्राहम लिंकन ने कहा है कि मुझे सबसे ज्यादा पसंद वह दोस्त है जो मुझे किताबें देता है, जो मैंने पढ़ी ना हो।
उर्दू विभाग में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।उर्दू विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ज़रीना बेगम ने कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे।
The inaugural function of the seven-day Urdu Festival Nawa-e-Urdu dedicated to Mir Taqi Mir was celebrated on 10/11/2023 by Bazm-e-Adab of the Urdu Department of Hamidia Girls Degree College at the Begum Khurshid Khwaja Hall of the college. The program started with Qiraat remembering God presented by Miss Ayesha Shamim, a student of Arabic M.A. first semester. Green plants were presented to the guests.
Principal Professor Naseha Usmani welcomed and introduced the chief guests. The chief guest of the program, Professor Shabnam Hameed, Head of the Department of Urdu, Allahabad University Prayagraj, through her lecture she highlighted the relevance of Urdu in present era. She motivated students to focus on the correct pronunciation and vocabulary for development of language proficiency in Urdu. She explained the relevance of Iqbal poetry in present era and said that Allama Muhammad Iqbal, a renowned philosopher and poet is known for his profound and thought-provoking poetry that often addressed themes of self-discovery, spirituality, and the betterment of humanity. She further explain how Iqbal emphasized the importance of self-realization and self-awareness. Iqbal encouraged individuals to explore their inner selves, recognize their potential, and work towards self-improvement. His concept of “Khudi” (selfhood) stressed the idea that individuals should strive to become the best versions of themselves.Iqbal’s poetry often promoted the idea of unity among Muslims and, more broadly, among all of humanity. .Iqbal encouraged people to take action and play an active role in shaping their destinies and the destiny of their nations. He believed in the power of human agency and effort in achieving progress and positive change. She further explain the importance of self control and practice in achieving the goal of life.
Special guest Dr. Nafees Bano, former Head of Department, Vasanta PG College, Varanasi said in her statement she said that the artistic expression found in Urdu literature further strengthens its role in preserving cultural heritage. Urdu poets, writers, and scholars have contributed immensely to enriching the language with poetic masterpieces, philosophical thoughts, and tales of cultural significance. Their creative works reflect the history, values, and traditions of the region, resonating with people from diverse cultural backgrounds. Allama Iqbal’s poetry carries profound messages of self-realization, spiritual awakening, and the pursuit of excellence. His verses continue to inspire people to reflect on their identity, connect with their roots, and strive for personal and collective growth.She gave references of various verses from Allama Iqbal verses.
Kazim Aabdi said thatUrdu language and literature are important as their historical significance, cultural diversity, literary tradition, linguistic influence. He motivated the students to develop writing skill as tremendous change can be brought only through pen.He suggested students to read daily newspaper in Urdu language also in order to develop proficiency in Urdu language as reading habit is essential for learning any language.
Certificates were distributed to the winners of various competitions organized in the Urdu Department. Dr. Zareena Begum, Associate Professor of the Urdu Department, conducted the program and expressed vote of thanks.