A programme on the responsibilities of writers was organised on the 6th day of Nawa-e-Urdu by the Department of Urdu, Hamidia Girls’ Degree College, Prayagraj with the collaboration of International Young Urdu Scholars’ Association, Lucknow. Dr. Aquil Ahmad, Director, NCPUL, New Delhi was the Chief Speaker. Prof. Shabnam Hameed, Head, Dept. of Urdu, University of Allahabad, Prayagraj was the Chief Guest.
Dr. Aquil Ahmad spoke on the topic ‘Position of Urdu in present scenario and our responsibilities’. He said that a writer should write for the betterment of the society. He focused that Urdu language has always given the message of peace, love and humanity. He further stressed that technology has helped in sharing the ideas of a scholars all over the world. He emphasized that it is the responsibility of writers to preserve the culture and values. The writer should give new directions to the society. Pen is a powerful weapon which maintains peace and harmony.
Prof. Shabnam Hameed in her presidential address congratulates the organizers to conduct such elaborate, informative and useful International Webinar. She pointed out that Urdu is taught almost in all corners of the world. She emphasized that NCPUL is doing appreciable work for promotion and progress of Urdu. Connecting it with education of girls she hoped that Hamidia Girls’ Degree College will do extraordinary work for progress of Urdu language and literature.
On this occasion beautiful calligraphy work (Khattati) by students were also presented. Earlier, welcome address was delivered by Dr. Yusufa Nafees, principal of the college. The program was conducted by Mrs. Naseha Usmani, Head, Dept. of Urdu, HGDC. Vote of thanks was proposed by Mrs. Zareena Begum, Associate Professor, Department of Urdu, HGDC.
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हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज प्रयागराज उत्तर प्रदेश के उर्दू विभाग और इंटरनेशनल यंग उर्दू स्कॉलर एसोसिएशन (आयूसा)शाखा उत्तर प्रदेश के तत्वधान से आयोजित साप्ताहिक(10.11.2020-16.11.2020) कार्यक्रम नवा -ए -उर्दू के छठे दिन दिनांक 15. 11. 2020 को विषय “उर्दू की मौजूदा सूरते हाल और हमारी जिम्मेदारियां” पर वेबिनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अहमद एजाजुद्दीन रहमत अली, सदर स्कूल ऑफ इंडियन स्टडीज ,गांधी इंस्टीट्यूट, मॉरीशस थे। मुख्य वक्ता डॉ शकील अहमद, डायरेक्टर, कौमी काउंसिल बराय फरोग उर्दू जबान ,NCPUL, नई दिल्ली ने कहा कि उर्दू भाषा का विकास महिलाओं और बच्चों के हाथों में है। कोविड-19 के दौर में जहां हम एक दूरी रखने के लिए मजबूर हैं, वहीं टेक्नोलॉजी ने इस दूरी को खत्म किया है। हम एक दूसरे से, देश विदेश से ज्यादा जुड़ गए हैं, और विद्वानों को सुन रहे हैं। नयी-नयी समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं। दुनिया में जिस तरह की समस्याएं फैली हुई है, हमारे लेखकों की यह जिम्मेदारी है कि वह उन समस्याओं से को उजागर करें, और उनको दूर करने के सुझाव भी दे। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद, इकबाल आदि ऐसे लेखक थे जिन्होंने जीवन की समस्याओं को उजागर किया, और लोगों को ,बच्चों को यह संदेश दिया कि किस तरह से समस्याओं से लोगों को रूबरू कराना है, और इस अंधेरे को दूर करना है। उन्होंने कहा कि पूर्व में जिस तरह के लेखक और शायर हुए हैं और जिस तरह से वह अंधेरों को दूर करते आ रहे हैं, और समाज में एकता, भाईचारा, मोहब्बत को फैलाते आ रहे हैं ,और समस्याओं का हल तलाश करते आ रहे हैं और इंसान को उसके क्षमताओं से रूबरू कराते आ रहे हैं। समाज के सोच और दृष्टिकोण को बदलते आ रहे हैं, वैसे ही फिक्र और नजर रखने वाले साहित्यकार और लेखक अब नहीं है, पर हमारे ज़हन पर जिंदा है ।उन्होंने कहा कि हमें टेक्नोलॉजी के कारण कोई भी खबर या मालूमात हासिल करने में बहुत थोड़ा समय लगता है। यह इंसान की जिम्मेदारी है, फर्ज है कि वह अपने समाज की समस्याओं से लापरवाह ना हो, बल्कि वह इस से जुड़ कर उसे दूर करने के लिए कोशिश करें। टेक्नोलॉजी ने हमारी सोच को, हमारी समझ को, हमारी पहुंच को विस्तार दिया है। समस्याओं के प्रति विमर्श की राहें अब मुश्किल नहीं है ।हम स्थानीय से उठकर वैश्विक हो चुके हैं। दुनिया के तमाम समस्याओं पर हमें बात करना होगा ।यह हम सबकी जिम्मेदारी है। लोकतंत्र में एकता पैदा करना होगा, गलत पर आवाज उठाना होगा, यह लेखकों की जिम्मेदारी है कि वह अंधेरे को उजाले में बदलें ।एक लेखक एक विद्वान समाज और सियासत से विशेष रूप से जुड़ा होता है। पूर्वाग्रहों, गलतफहमियां, भ्रम को दूर करने की जिम्मेदारी होती है। वर्तमान समाज गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, व्यक्तिवादिता आदि चुनौतियों से जूझ रहा है, इन वैश्विक चुनौतियां का सामना करना, नए रास्ते रोशन करना, एकता और इंसानियत को कायम करना ,यह एक लेखक की जिम्मेदारी है। इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के जमाने में वह अपनी भूमिका को सही तरीके से अंजाम दें, और दुनिया के हर इंसान तक मोहब्बत, अमन, एकता और इंसानियत पैदा करने का संदेश फैलाएं ।हमें गर्व है कि उर्दू लेखकों ने अमन, मोहब्बत ,इंसानियत ,उल्फत का पैगाम फैलाने में, और देश की एकता और अखंडता को बनाने में मुख्य भूमिका निभाई है, केवल कलम ही मानवता को फैला सकती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रोफेसर शबनम हमीद उर्दू विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कहा ,कि डॉ अकील अहमद ने समाज को नई दिशा देने के लिए इंसान के जो फर्ज हैं उस पर रोशनी डाली। उर्दू लेखकों को जो संदेश दिया वह बहुत ही लाभकारी है। हमको उर्दू अपने घरों में, अपनी लड़कियों में फैलाना है ।लड़कियां पढ़ेंगी तो पूरी नस्ल जानेगी। कॉलेज के द्वारा आयोजित प्रोग्राम बच्चों के, छात्राओं के मस्तिष्क को विस्तृत बना रहा है। हम दुनिया के बड़े-बड़े विद्वानों को सुन रहे हैं। इस दौर में अगर हम कलम का सही इस्तेमाल करें ,तो बहुत दूर तक और बड़े काम कर सकते हैं। इस क्षेत्र में NCPUL बहुत काम कर रहा है, उर्दू को सीखने और जानने के लिए ऑनलाइन साधन और सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। आज उर्दू की खिदमत करने वाले दुनिया में सब जगह मौजूद है। इस वेबीनार में भी हमें डेनमार्क, मॉरीशस, जर्मनी, बर्लिन से आए हुए वक्ताओं को सुनने का मौका मिला कि उर्दू के विकास के लिए वह किस प्रकार काम कर रहे हैं ।रोजगार में भी उर्दू का क्षेत्र कम विस्तृत नहीं है। मीडिया में एंकरिंग के लिए उर्दू वालों को ज्यादा मौका दिया जाता है, क्योंकि उच्चारण में उनका एक अलग स्थान है।अब हमको उर्दू पर फख्र करने की ही नहीं, बल्कि काम करने की भी जरूरत है ताकि उर्दू का विकास सही तरीके से हो पाए।
कॉलेज के प्राचार्या डॉ यूसुफा नफीस ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रबंधक श्रीमती तज़ीन एहसानउल्लाह ने कार्यक्रम की सफलता के लिए आशीष दिया। उर्दू विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर श्रीमती नासेहा उस्मानी ने कार्यक्रम का संचालन किया। उर्दू विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीमती जरीना बेगम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।