हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज प्रयागराज उत्तर प्रदेश के उर्दू विभाग और इंटरनेशनल यंग उर्दू स्कॉलर एसोसिएशन (आयूसा) उत्तर प्रदेश शाखा के तत्वावधान से चल रहे साप्ताहिक(10.11.2020 से 16.11.2020 तक) कार्यक्रम ‘नवा-ए- उर्दू’ के अंतर्गत पांचवे दिन दिनांक 14.11. 2020 को विषय “उर्दू पत्रकारिता” पर वेबिनार आयोजित किया गया। विशेष अतिथि डॉक्टर साबिर गूदड़, स्कूल ऑफ इंडियन स्टडीज ,गांधी इंस्टीट्यूट मॉरीशस ने अपने व्याख्यान में कहा कि मॉरीशस में उर्दू भाषा की स्थिति अच्छी है। हालांकि वहां की मातृभाषा फ्रांसीसी है फिर भी उर्दू अपने प्रख्यात स्वरूप में है। मॉरीशस यूनिवर्सिटी और गांधी इंस्टीट्यूट के सहयोग से उर्दू के लिए कार्य किया जा रहा है और वहां उर्दू का भविष्य उज्जवल है। विशेष वक्ता डॉ लाइक रिजवी एडिटर सहारा समय दिल्ली ने कहा वर्तमान समय में पत्रकारिता बहुत सी समस्याओं से जूझ रही है ।कहीं ना कहीं पत्रकारिता में भरोसा खो गया है, लेकिन जहां तक उर्दू पत्रकारिता की बात है, आने वाले 20 वर्षों में वह 200 वर्ष पूरे करेगी। उर्दू पत्रकारिता और इलाहाबाद में उर्दू पत्रकारिता अच्छी स्थिति में है । सामाजिक जागरूकता फैलाने में उर्दू पत्रकारिता ने अपनी मुख्य भूमिका निभाई है। आजादी की जंग हो, नव निर्माण हो, या आंदोलनों को कामयाब बनाना। सब में उर्दू पत्रकारिता की मुख्य भूमिका रही है। नूर-उल-अबसार, स्वराज, कौमी -आवाज, जय हिंद, क़ायद, सफीर-ए-नौ आदि अखबार पर उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए। जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर पत्रकारिता पर चर्चा को बहुत प्रसांगिक बताया, कहा कि नेहरू की राजनीतिक विचार और मिशन को अलग रखकर अगर पत्रकारिता में उनकी रुचि की चर्चा की जाए ,तो वह निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता के समर्थक थे। उन्होंने लाहौर से ‘जय हिंद’ निकलवाया ,क्योंकि वह मुखर पत्रकारिता के समर्थक थे। इलाहाबाद भी पत्रकारिता में अपनी बड़ी पहचान रखता है। उर्दू अखबार के पढ़ने और देखने वालों के दायरों के सीमित होने के बाद भी उर्दू अखबार यह भ्रम बनाने में सफल है, कि वह निष्पक्ष है ।सीमित साधन के बाद भी अपने 200 वर्ष पूरे कर रहा है। उर्दू के लिए गर्व की बात है। पत्रकारिता जो देश व समाज की अमानत है उसमें हर व्यक्ति को अपने तौर पर मदद करनी चाहिए। अतिथि प्रोफेसर इब्ने कंवल दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए पत्रकारों के द्वारा समाज की जीवन पद्धति किस प्रकार बदलती है, बड़े-बड़े आंदोलन हो जाते हैं, पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा की ब्रिटिश सरकार को भयभीत करने में पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है। जिसके कारण पत्रकारों को शहादत का जाम पीना पड़ा। वर्तमान समय में भी पत्रकारों की जिम्मेदारी है कि वह ईमानदार पत्रकारिता से काम ले। यहां तक कि उर्दू के विकास के लिए वह पूंजीपतियों की मुख्य भूमिका की बात करते हैं ,क्योंकि गैर उर्दू पूंजीपतियों ने तो कई उर्दू चैनलों की बुनियाद रखी, लेकिन इत्तेफाक से जिन पूंजीपतियों की मातृभाषा उर्दू है, उनमें बहुत कम उत्साह पाया जाता है। उन्होंने उर्दू के विकास के लिए कोई चैनल क्यों शुरू नहीं किया ,जो कुछ चंद चैनल चल भी रहे हैं तो उसमें भी हिंदी में ही खबरें लिखी जाती हैं ।महिलाओं के संबंध में कहा कि महिलाएं समाज के सुधार में मुख्य भूमिका निभाती हैं । इसलिए नई पीढ़ी को उर्दू के विकास के लिए अवश्य ही प्रेरित करना चाहिए ।इसके लिए छात्र एवं छात्राएं अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
कॉलेज की प्राचार्या डॉ यूसुफा नफीस ने अतिथियों का स्वागत किया। कॉलेज की प्रबंधक श्रीमती तज़ीन एहसानुल्लाह ने कार्यक्रम की सफलता के लिए आशीष दिया। उर्दू विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर श्रीमती नासेहा उसमानी ने कार्यक्रम का संचालन किया और उर्दू विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीमती जरीना बेगम ने धन्यवाद ज्ञापित किया।