आंकड़ों के अनुसार इंडिया में टी.बी से एक वर्ष मे 5 लाख और दुनिया भर में 15 लाख से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं। दमा की बीमारी के संबंध में उन्होंने कहा कि फैमिली हिस्ट्री के अलावा प्रदूषण जैसे धुआं ,सड़क के धूल, जानवरों, जंक फूड, फूड एलर्जी आदि मुख्य कारण है। दमा के लक्षणों को विस्तार पूर्वक बताया और उसके इलाज के संबंध में भी जानकारी दी। आज के दौर में मोबाइल के प्रयोग पर भी चर्चा किया उन्होंने कहा कि मोबाइल का प्रयोग सकारात्मक रूप से करें। किसी भी चीज की अति हानिकारक होती है। मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग के दुष्परिणाम को बताते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले 20 साल के बाद दिमाग की बीमारी, आंख, नाक, कान की समस्याओं के रूप में दिखाई देगा। इसलिए जितनी जरूरत हो उतना मोबाइल का इस्तेमाल करें अपने समय का सही सदुपयोग करें और जीवन में सफलता को प्राप्त करें। स्वयं सेविकाओं ने वन न्यूट्रीशनल डिश पार्टी का भी आयोजन किया जिसमें विभिन्न प्रकार के पौष्टिक खाद्य पदार्थ एवं उसके लाभ बताए। शिविर के द्वितीय सत्र में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर स्वयं सेविकाओं द्वारा “मेरा शहर साफ हो और इसमें हम सभी का हाथ हो” विषय पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया ।शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम और खेलकूद के महत्व को बताने के लिए विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई। प्राचार्या डॉ यूसुफा नफीस ने बुके और मोमेंटो देकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम प्रभारी डॉ इरम फरीद उस्मानी ने किया। धन्यवाद ज्ञापित सेंटर फॉर वुमेन स्टडीज की डायरेक्टर डॉ सबीहा आज़मी ने किया । इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम प्रभारी श्रीमती शरमीन फातमा और कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती हिना फरहीन भी उपस्थित रहीं।
हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज कांस्टीट्यूएंट माइनॉरिटी पीजी कॉलेज यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद की राष्ट्रीय सेवा योजना की तीनों इकाइयों 041,042 ,043 एवं सेंटर फॉर वूमेन स्टडीज के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित विशेष शिविर 2022 के अंतर्गत प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज मे पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ तारिक महमूद का विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। सबसे पहले उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा कि उच्च शिक्षा में छात्रों को एक्सपोजर देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। व्यक्तित्व के विकास मे, विचारशील बनाने मे, धैर्य का स्तर बढ़ाने मे, समाज से जोड़ने मे, समाज की समस्याओं को दूर करने और अपने आसपास के लोगों में शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा तक पहुंच बनाने में, माध्यम बनने के लिए कार्य करता है। स्वयं सेविकाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि अपने जीवन को लक्ष्य उन्मुख बनाइए और व्यक्तित्व में सौम्यता रखिए। समाज के जिन लोगों तक शिक्षा और स्वास्थ्य की पहुंच नहीं है,वहाँ तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हुए उन्होंने कहा कि बीमारियों से बचने के लिए हमें अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना जरूरी है। समय पर नींद लेना, संतुलित एवं पौष्टिक आहार, शारीरिक व्यायाम करना अत्यंत आवश्यक है। हमारे समाज में गरीबी के कारण लोगों में स्वास्थ्य चेतना की कमी पाई जाती है। इसे लोगों में जगाना हमारा उत्तर दायित्व है, क्योंकि टी.बी के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारत में 130 करोड़ की आबादी में 40% लोगों मे टी.बी का इन्फेक्शन फैला हुआ है यानी कि लगभग 52 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं और यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। वर्तमान समय में आंखों की टी.बी के मरीज बढ़ रहे हैं। महिलाओं में टीवी होने के कारणों को भी विस्तार पूर्वक बताया इससे बचने के लिए उन्होंने कहा कि हमें सुबह की धूप ,व्यायाम, जैतून का तेल, टमाटर, अंडा जो कि विटामिन सी और विटामिन डी से युक्त है, प्रोटीन आदि का सेवन करना जरूरी है। शरीर में रक्त संचार को बढ़ाना जरूरी है।तभी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। इसलिए अपने ज्ञान को बढ़ाइए शारीरिक श्रम करिए। अपने को समाज से जोड़िए । नशा जैसे तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि से बचना, शुगर कंट्रोल रखना, टी.बी की सरकारी दवाएं भी मिलती हैं,लेकिन डॉक्टर के परामर्श के बिना नहीं लेनी चाहिए। आपके आसपास अगर इस तरीके के लोग परिवार में हैं ,तो उनको हॉस्पिटल तक पहुंचाने में मदद करिए। अपने अंदर धैर्य पैदा करिए क्योंकि सफलता का राज धैर्य में है। उन्होंने कहा कि दुनिया में टी.बी इन्फेकशन वाली वह बीमारी है जो अपने आसपास के लोगों को प्रभावित करती है। विश्व में एचआईवी फिर कोविड उसके बाद टी.बी सबसे ज्यादा मौत देने वाली बीमारी है।