हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज के फैशन डिजाइन एंड एंब्रॉयडरी विभाग द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन करने के लिए प्रेरित करने के लिए पांच दिवसीय की इंटरैक्टिव व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया। जिसका विषय “उद्यमिता विकास और भारतीय परिप्रेक्ष्य में स्टार्टअप के अवसर और चुनौतियां” (“Entrepreneurship Development and Start ups: Opportunities and Challenge In Indian Perspective”) था। सेमिनार में कॉलेज के सभी विभागों की अध्यापिकाओं और छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया । यह व्याख्यान 18 सितंबर 2023 से शुरू हुआ और जिसका समापन 22 सितंबर 2023 हुआ।
प्रिंसिपल प्रो. नासेहा उस्मानी, प्राचार्या, हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज ने वक्ताओं का स्वागत किया और कहा कि वक्ताओं के व्याख्यान से हमारे छात्रों को जरूर अपना व्यवसाय करने की प्रक्रिया मालूम हो जाएगी और भविष्य में वह अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
यह व्याख्यान इलाहाबाद विश्वविद्यालय और उनके संघटक कॉलेज के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस व्याख्यान के मुख्य वक्ताओ मे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग और इन्क्यूबेशन सेंटर की को ऑर्डिनेटर डॉ. शेफाली नंदन, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग की डॉ. सरिता मैक्सवेल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फैमिली एंड कम्युनिटी साइंस (गृह विज्ञान) विभाग की डॉ. मोनिशा सिंह, हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज के कॉमर्स विभाग से डॉ. अमिता अग्रवाल, डॉ. जैनब अब्बास और श्वेता पाण्डेय ने अपने व्यक्तव प्रस्तुत किए।
डॉ. शेफाली नंदन, वाणिज्य विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने “भारत में महिला उद्यमिता परिदृश्य” विषय पर अपना भाषण दिया उन्होंने कहा किपिछले कुछ वर्षों में वास्तव में, भारत में उद्यमियों के रूप में उद्यम करने और सफल होने वाली महिलाओं की संख्या में काफी वृद्धि देखी गई है, जिससे देश की सामाजिक और आर्थिक जनसांख्यिकी प्रभावित हुई है। रिपोर्टों से पता चलता है कि आज, भारत में 20 प्रतिशत से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का स्वामित्व महिलाओं के पास है, जो कुल श्रम शक्ति का 23.3 प्रतिशत है। यह देखना दिलचस्प है कि भारत का लगभग 50 प्रतिशत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम वर्तमान में महिलाओं द्वारा सशक्त है।
महिला बल की इस बढ़ती भागीदारी से रोजगार सृजन हुआ है और हजारों परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिली है। महिलाएं – जो हमेशा अपने नेतृत्व कौशल के लिए जानी जाती हैं, लेकिन पहले पितृसत्तात्मक मूल्यों और लिंग मानदंडों से बंधी थीं, जो उन्हें काम करने तक सीमित करती थीं – आज बाधाओं को तोड़ रही हैं और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण जैसे नए युग के उद्योगों पर सफलतापूर्वक हावी हो रही हैं, जहां 50 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी महिलाएं हैं I
उन्होंने कहा सतत आर्थिक विकास, लैंगिक समानता और गरीबी उन्मूलन में महिलाओं की भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, भारत सरकार ने महिला उद्यमियों का समर्थन करने के लिए कई पहल शुरू की हैं। इन पहलों का उद्देश्य एक समावेशी और सहायक नीति ढांचा, वित्त तक समान पहुंच प्रदान करना और मेंटरशिप और नेटवर्क चैनलों का विस्तार करना है। कुल मिलाकर, ये प्रयास महिला उद्यमियों के लिए अपना व्यवसाय संचालित करने और बढ़ाने के अवसर पैदा करते हैं। नारी शक्ति (महिला शक्ति) एक ऐसी पहल है जो महिलाओं को बाजार में उपलब्ध दर से सस्ती दर पर आसान ऋण प्रदान करना चाहती है, जिससे महिलाओं को उनकी उद्यमशीलता आकांक्षाओं को साकार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
“उद्यमिता विकास और भारतीय परिप्रेक्ष्य में स्टार्टअप के अवसर और चुनौतियां” इस विषय पर डॉ. सरिता मैक्सवेल वाणिज्य विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने विस्तारपूर्व अपना वक्तव्य दियाI
भारत को स्टार्टअप्स (Startups) के लिये इसकी विशाल वाणिज्यिक क्षमता के लिये प्रायः ‘उभरते बाज़ारों के पोस्टर चाइल्ड’ के रूप में वर्णित किया जाता है। दुनिया के कई अन्य भागों की तरह भारत में भी स्टार्टअप्स पर हाल के वर्षों में अधिक ध्यान दिया गया है। उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है और उन्हें व्यापक रूप से विकास एवं रोज़गार सृजन के महत्त्वपूर्ण इंजन के रूप में चिह्नित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा की हालाँकि दूरंदेशी नीतियों और वित्तीय बाधाओं की कमी के कारण, भारत के स्टार्टअप पारितंत्र को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस परिदृश्य में प्रभावशाली स्टार्टअप समाधान उत्पन्न करने के लिये नवाचार (Innovation) और उभरती हुई प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इस प्रकार यह भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास और परिवर्तन के लिये एक वाहन के रूप में अपनी भूमिका निभा सकता है। भारत में स्टार्ट-अप पारितंत्र की वर्तमान स्थिति, स्टार्टअप से संबंधित सरकार की प्रमुख पहलें, भारत में स्टार्टअप से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ और आगे की राह पर प्रकाश डाला I
“उद्यमशीलता और स्टार्टअप मानसिकता को बढ़ावा देना” इस विषय पर डॉ. मोनिशा सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फैमिली एंड कम्युनिटी साइंस (गृह विज्ञान) विभाग ने विस्तारपूर्व प्रकाश डाला।
उद्यमिता व्यक्तियों को लीक से हटकर सोचने, समस्याओं के अनूठे समाधान खोजने और यथास्थिति को चुनौती देने के लिए प्रोत्साहित करती है। बच्चों को उद्यमशीलता की सोच से परिचित कराने से, वे रचनात्मक मानसिकता के साथ चुनौतियों का सामना करना सीखते हैं, कई दृष्टिकोण तलाशते हैं और नवीन विचार विकसित करते हैं।
उद्यमशीलता की संकल्पना विकसित करने के लिए सुझाव भी दिया। जिज्ञासा को बढ़ावा दें, सीखने के अवसर के रूप में स्वीकार करें ,सोच को बढ़ावा देना, दृढ़ और कड़ी मेहनत, विकास की परिकल्पना विकसित करें, वित्तीय कंपनियों को बढ़ावा देना, नेतृत्व के अवसर प्रदान करें, सकारात्मक रोल मॉडल शामिल करें, और संबंध निर्माण को मंजूरी ,ये सभी सुझाव उद्यमशीलता की संकल्पना विकसित और बढ़ावा देने वाले बन सकते हैं।
डॉ. अमिता अग्रवाल ने “भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) संभावनाएँ और चुनौतियाँ” विषय पर अपना वक्तव्य दिया। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने हमेशा से ही भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में देश में सक्रिय लगभग 6.3 करोड़ MSMEs न सिर्फ देश की जीडीपी में एक बड़ा योगदान देते हैं बल्कि ये एक बड़ी आबादी के लिये रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराते हैं। गौरतलब है कि यह क्षेत्र लगभग 110 मिलियन रोज़गार उपलब्ध कराने के साथ श्रमिक बाज़ार की स्थिरता में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में सरकार द्वारा वर्तमान में आत्मनिर्भर भारत अभियान पर विशेष ज़ोर दिये जाने के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था तथा आर्थिक रणनीति की दृष्टि से MSMEs की भूमिका और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है।
गौरतलब है कि जर्मनी और चीन की जीडीपी में MSMEs की भागीदारी क्रमशः 55% और 60% है जो इस बात का संकेत है कि भारत को इस क्षेत्र में अभी एक लंबी यात्रा तय करनी है, MSME की प्रगति के मार्ग की प्रमुख बाधाओं में वित्तीय चुनौतियाँ ,MSMEs के औपचारीकरण की कमी,तकनीकी बाधाएँ, नियामकीय बाधाएँ,आर्थिक मंदी तथा बाज़ार में उतार-चढ़ाव, उत्पादन की चुनौतियाँ MSME के समक्ष चुनौतियाँ हैI
उन्होंने आगे की राह के बारे में कहा वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ बनाना तथा MSMEs के लिये औपचारिक ऋण तक पहुँच में सुधार करना। डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना तथा प्रौद्योगिकी अपनाने के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करना, नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना तथा नौकरशाही संबंधी बाधाओं को कम करना। बाज़ार संपर्क को सुगम बनाना तथा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देना।
डॉ. ज़ैनब अब्बास, हमीदिया कॉलेज के वाणिज्य विभाग ने उद्यमशीलता दक्षताओं का विकासक विकास और उद्यमिता विकास की प्रक्रिया पर अपना भाषण दिया।
अपने भाषण में कहा कि उद्यमिता एक आर्थिक क्रिया है जो बाजार में व्याप्त सम्भावनाओं को पहचानने की प्रक्रिया है । किसी भी व्यवसाय का उद्देश्य लाभ कमाना होता है । परन्तु लाभ कमाने के साथ साथ जब व्यवसायी किसी उद्यम को चलाने के लिये नये तरीके से उपलब्ध संसाधनों को एकत्रित करता और साथ में जोखिम उठाता है, ऐसी क्रिया को उद्यमिता कहते हैं । उन्होंने एक प्रभावशाली उद्यमिता विकास कार्यक्रम कैसे बनाया जाए।इस पर भी अपने विचार रखेI
उन्होंने कहा उद्यमशीलता विकास के लिए अनुसंधान कार्य और परामर्श। संस्थान की पहुंच बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, अनुसंधान और अन्य गतिविधियों के लिए दूसरे संगठनों के साथ समन्वय एवं सहयोग। एमएसएमई/संभावित उद्यमियों को परामर्श आदि विभिन्न सेवाएं प्रदान करना एवं प्रतिभागियों की रोजगार क्षमता बढ़ाना है।
एक व्यवसाय योजना आपके व्यवसाय की सफलता के लिए आपके मार्ग को परिभाषित करती है और आप इसे कैसे प्राप्त करेंगे। इस विषय पर डॉ. श्वेता पाण्डेय ने प्रकाश डाला I उन्होंने कहा कि व्यवसाय योजना ( Business Plan) का प्रत्येक भाग आपको वित्तीय पहलुओं, विपणन, संचालन और बिक्री सहित अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करता है।
व्यवसाय योजना लिखने से आपको यह स्पष्ट रूप से समझने में मदद मिलती है कि अपने लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए आपको क्या करने की आवश्यकता है। तैयार व्यवसाय योजना आपको इन लक्ष्यों की याद दिलाने का भी काम करती है। यह एक मूल्यवान उपकरण है जिसे आप वापस देख सकते हैं, जिससे आपको ध्यान केंद्रित करने और ट्रैक पर बने रहने में मदद मिलती है।
फैशन डिजाइन एण्ड एम्ब्रायडरी विभाग की समन्वयक डॉ. नसरीन बेगम ने सभी टीचर्स और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया सेमिनार का संयोजन किया और धन्यवाद ज्ञापित किया।